सांसद निशिकांत दुबे का विवादित बयान
मदरसा बोर्ड के द्वारा स्नातक,स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री असंवैधानिक है
05 मई 2024 को सुप्रीम
कोर्ट में यूपी मदरसा एक्ट पर कुछ अहम बातें
यूपी मदरसा एक्ट को
सुप्रीम कोर्ट से मान्यता मिली
सुप्रीम कोर्ट ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को खारिज किया
मदरसा एक्ट की संवैधानिकता
को मान्यता मिली
इलाहाबाद हाईकोर्ट
के फैसले को SC ने खारिज किया
क्या है पूरा मामला
?
दर असल इलाहबाद हाई
कोर्ट ने 22 मार्च को यूपी मदरसा एक्ट को असंवैधानिक क़रार दिया था। उसी को लेकर के
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।
अंशुमान सिंह राठौड़
नामक व्यक्ति ने मदरसा बोर्ड कानून को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की
थी. राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी. इसी पर हाईकोर्ट ने
22 मार्च को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट
2004 'असंवैधानिक'
है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट
ने इस फैसले पर रोक लगाई और अब अंतिम फैसला सुनाते हुए मदरसा एक्ट को संवैधानिक घोषित
किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने
क्या कहा ?
यूपी मदरसा बोर्ड
एक्ट 2004 संवैधानिक
यूपी मदरसा एक्ट संविधान
का उल्लंघन नहीं
यूपी मदरसा एक्ट संवैधानिक
रूप से सही
इन सब बातों से ये
साफ़ ज़ाहिर होता है की कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को सही बताया।
और ठीक उसके एक दिन
के बाद झारखण्ड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मदरसा बोर्ड के द्वारा स्नातक,स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री को असंवैधानिक
बताया है।
सांसद निशिकांत दुबे
ने क्या कहा ?
गोड्डा से भाजपा सांसद
निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि कल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद
आलिम,फाजिल और कालिम मदरसा डिग्रीधारी
लोगों को भाजपा सरकार झारखंड में बनते ही नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। अब लगभग
50 हज़ार झारखंड के युवाओं को अलग से नौकरी मिलेगी ।मदरसा के द्वारा स्नातक,स्नातकोत्तर व डॉक्टरेट की डिग्री असंवैधानिक है
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